कुछ टूटने से कुछ जुड़ जाए ऐसा इस दुनिया में बहुत कम होता है। महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, ‘ अपने काम से पहले उस काम से अधिक से अधिक लोगों के फायदे के बारे में जरूर सोचें। ’
अब गांधी जी तो चले गए, लेकिन उनकी सोच आज भी जिंदा है। जब-जब कोई इंसानियत दिखायेगा तब-तब गांधी जी के विचार और मजबूती पा सकेंगे, क्योंकि हम कुछ भी होने से पहले इंसान हैं।
अब बात करते हैं कि इंसानियत की ये खूबसूरत कहानी कहां से सामने आई है-
बात गुवाहाटी की है। आपको तो पता ही है कि आजकल रमजान का महीना चल रहा है, और रमजान के महीने में रोजे रखना तो आसमान में सूरज के जैसा है, जैसे आसमान कभी बिना सूरज के नहीं होता वैसे ही रमजान का महीना बिना रोजे के नहीं होता, लेकिन ये खबर इससे भी खास है। अपने धर्म मजहब को बचाने और बढ़ाने के लिये तो हर कोई तैयार होता है लेकिन इसी बीच इंसानियत दिखाने वाले बहुत कम आते हैं।
अब आते हैं असल मुद्दे पर-
गुवाहाटी में तापस भगवती और पनाउल्ला अहमद रूममेट हैं। तापस ‘टीम ह्यूमैनिटी’ के सदस्य हैं, और ये ग्रुप लोगों की मेडिकल जरूरतों के समय मदद करता है। पनाउल्ला जो कि तापस के रूममेट हैं, ने रोजा रखा हुआ था, और सुबह सेहरी कर के आराम कर ही रहे थे कि तापस उन्हें परेशान दिखे। जब पनाउल्ला ने पूछा कि क्या बात है, फिर पता चला कि तपस को ओ पाॅजिटिव गु्रप का ब्लड चाहिये था, जिसका इंतजाम वे कहीं से भी नहीं कर पा रहे थे।
पनाउल्ला की इंसानियत तो देखिये वो ये सब सुनते ही मदद के लिए तैयार हो गए वो भी रोजे के दौरान ! पनाउल्ला ने तुरंत ब्लड डोनेशन के लिए चलने को कहा। अस्पताल में 50 साल के रंजन गोगोई का ऑपरेशन होना था, जिनके पेट में दो ट्यूमर थे। तापस पनाउल्ला के रोजे की वजह से थोड़ा हिचक रहे थे, लेकिन ये क्या ! पनाउल्ला ने तो मदद करने की ठान ली थी।
जानिये मौलवियों ने क्या राय दी –
पनाउल्ला ने ब्लड डोनेट करने से पहले कई मौलवियों से इस बारे में पूछा लेकिन पनाउल्ला की सबने ब्लड डोनेट करने के लिए तारीफ ही की। और इस से बड़ी बात तो यह है कि मौलवी साहब उन्हें यह निर्देश भी दे रहे हैं कि यदि ब्लड डोनेट करने से अगर कमजोरी आती है तो वे अगले दिन का रोजा ना रखें।
इंसानियत
पनाउल्ला ने एक यूनिट ब्लड डोनेट किया जिससे उन्हें थोड़ी कमजोरी महसूस हुई और डॉक्टरों ने भी कुछ खाने की सलाह दी। फिर पनाउल्ला ने अपना रोजा तोड़कर इंसानियत के धागे को और मजबूत किर दिया।
इस तरह से इंसानियत की किताब में एक और नाम जुड़ गया।
फिलहाल तो लोग चुनाव की खबरों में व्यस्त हैं, लेकिन हमें पनाउल्ला जैसों की खबर को अहमियत देनी चाहिए, क्योंकि बहुत कम ऐसा होता है कि ‘कुछ टूटने से बहुत कुछ जुड़ जाए’। ऐसी इंसानियत दिखाने वाले बहुत ही कम नजर आते हैं।