सुनील गावस्कर को वनडे क्रिकेट कभी रास नहीं आई थी।
31 अक्तूबर 1987, नागपुर का विदर्भ क्रिकेट स्टेडियम. डिफेंडिंग चैंपियन इंडिया का रिलायंस विश्व कप में आखिरी लीग मैच न्यूजीलैंड के विरुद्ध. हालांकि कपिल देव की टीम पहले ही सेमीफाइनल में अपना स्थान पक्का कर चुकी है। तब फ्लडलाइट्स में मैच नहीं होते थे।सुबह-सुबह न्यूजीलैंड के कप्तान जेफ्री क्रो ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया लेकिन इंडिया की कसी गेंदबाजी के सामने किवी बल्लेबाज जम नहीं पाए. ओपनर जॉन राइट ने 35 रन एवं आलराउंडर दीपक पटेल ने 40 रन बनाए। निर्धारित 50 ओवरों में न्यूजीलैंड की टीम 9 विकेट पर 221 रन हीं बना सकी। चेतन शर्मा ने केन रदरफोर्ड, विकेटकीपर इयान स्मिथ एवं इवान चैटफील्ड- तीनों को बोल्ड कर विश्व कप की पहली हैट्रिक बनाई. यह इंटरनेशनल क्रिकेट के इतिहास की पहली हैट्रिक थी जिसमें सभी बल्लेबाज बोल्ड हुए थे। साथ ही यह किसी भी इंडियन बॉलर की पहली हैट्रिक थी।
अब इंडिया की बल्लेबाजी शुरू होती है, कृष्णामाचारी श्रीकांत और टेस्ट क्रिकेट में रनों और शतकों के शहंशाह लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर (बुखार के बावजूद) मैदान में उतरे. दोनों ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी शुरू की। जब पहला विकेट श्रीकांत के रूप में गिरा तब तक स्कोरबोर्ड पर 136 रन टंग चुके थे. श्रीकांत 58 गेंदों पर 9 चैकों और 3 छक्कों की मदद से 75 रन बनाकर आउट हुए. अब गावस्कर और स्टाइलिश हैदराबादी मोहम्मद अजहरुद्दीन की साझेदारी शुरू हुई एवं दोनों ने इंडिया को 32.1 ओवर में ही लक्ष्य के पार (224 रन) पहुंचा दिया।
गावस्कर 88 गेंदों पर 10 चैकों और 3 छक्कों की मदद से नॉट आउट 103 रन बनाए तथा अजहरुद्दीन ने 51 गेंदों पर 41 रन बनाए. गावस्कर ने तो इयान चैटफील्ड के एक ओवर में ही तीन छक्के और 1 चैके के साथ 22 रन ठोक डाले थे. इस मैच में गावस्कर ने केवल 85 गेंद में शतक बनाया जो उस समय तक वनडे क्रिकेट में किसी भी भारतीय द्वारा बनाया गया सबसे तेज शतक था. इस मैच में, जो गावस्कर का सेकेंड लास्ट मैच था (सेमीफाइनल में भारत की हार के साथ हीं गावस्कर ने ग्लव्स टांग दिये थे यानी संन्यास की घोषणा कर दी थी). सुनील गावस्कर अंततः शतक बनाने में कामयाब हो गये अन्यथा दुनिया इस बात पर आश्चर्य करती कि जिस बल्लेबाज ने टेस्ट क्रिकेट में रनों एवं शतकों का माउंट एवरेस्ट खड़ा कर दिया उसके नाम वनडे मैचों में तीन अंकों की कोई पारी नहीं है।