गुजरात के 2017 विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर इन युवा चेहरों ने राज्य में कांग्रेस को चुनाव में लाभ पहुंचाया था। अब 18 महीने बाद राजनीति में उनकी चुनावी सक्रियता प्रभावित होती दिखाई दे रही है।
अल्पेश कांग्रेस के टिकट पर राधनपुर से विधायक बने थे। अब उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी है। वहीं दंगा मामले में दोषी ठहराए जाने से हार्दिक की चुनावी पारी शुरू करने की संभावना पर ग्रहण लगा हुआ है। जबकि वडगाम के विधायक जिग्नेश अपनी राष्ट्रीय महात्वाकांक्षा को लेकर व्यस्त हैं।
हार्दिक पाटीदार आंदोलन को लेकर चर्चा में आए थे। पुलिस फायरिंग में 14 पाटीदारों की मौत के बाद वह पटेलों की आवाज बनकर उभरे जो गुजरात में आरक्षण की मांग कर रहे थे। है। और कुछ समय बाद हार्दिक औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गए और गुजरात में पार्टी के लिए प्रचार करने लगे।
उधर अल्पेश जिन्होंने अपनी ठाकोर सेना के तहत समस्त ओबीसी समुदाय को संगठित किया था। वह भी कांग्रेस में शामिल और हो गए और 2017 में विधायक चुने गये। अब अल्पेश दावा करते हैं कि वह ओबीसी समुदाय के हित में ही काम करेंगे।
जिग्नेश चुनावी अखाड़े में तब पुहंचे जब उन्होंने जुलाई 2016 में ऊना में दलितों के साथ हुई मारपीट की घटना के विरोध में प्रदर्शन का नेतृत्व किया। एक गाय की हत्या के संदेह में ऊना में चार दलितों के साथ मारपीट की गई थी। जिग्नेश को कांग्रेस की ओर से वडगाम सीट का ऑफर दिया गया, लेकिन 2017 में उन्होंने इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। पिछले साल से जिग्नेश राष्ट्रीय स्तर का दलित नेता बनने का प्रयास कर रहे हैं।
Mon Apr 15 , 2019
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