ग्रीन बोनस की मांग उठाने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री थे निशंक
भाजपा द्वारा जारी घोषणा पत्र – संकल्प पत्र में जहां देश के हर वर्ग का विशेष ध्यान रखा गया है तो वहीं उत्तराखंड के लिए कुछ सौगातें भी है। इसमें ग्रीन बोनस के रूप में मिलने वाली सौगात का
विशेष जिक्र किया गया है।
घोषणा पत्र में कहा गया हे कि हिमालयी राज्यों में वनों के संरक्षण एवं संवर्धन की सुविधा प्रदान करने के लिए ग्रीन बोनस के रूप में विशेष वित्तीय सहायता सुनिश्चित की जाएगी। उत्तराखंड जैंसे राज्य के लिए यह काफी अहम हैं, क्योंकि राज्य का 60 प्रतिशत के लगभग भू-भाग वनाच्छादित है।
गौरतलब है कि इस बारे में देश भर में सबसे पहले आवाज भी उत्तराखंड से ही उठी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान में हरिद्वार सांसद डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक ने सबसे पहले वर्ष 2009 में इस बारे में हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस दिये जाने की मांग शिमला में आयोजित हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में उठायी थी।
इसके बाद डॉ0 निशंक इस मामले में तत्कालीन केन्द्रीय योजना आयोग के उपाघ्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से भी मिले और उनकी मांग को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सैद्वांतिक रूप से सही माना। डॉ0 निशंक का कहना था कि उत्तराखंड जैंसा राज्य जो कि देश को शुद्व आक्सीजन के अलावा पेयजल मुहैया कराता है ओर देश के पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने में उत्तराखंड का अहम स्थान है। इसके अलावा वह कई महत्वपूर्ण मंचों पर ग्रीन बोनस की मांग को उठाते रहे। बाद में हिमालयी राज्यों को कुछ वित्तीय मदद मिलनी शुरू हुई,लेकिन इस बार भाजपा ने अपने एजेंडे में हिमालयी राज्यों को विशेष वित्तीय मदद देने का वायदा अपने घोषणा पत्र में दिया है जो कि उत्तराखंड जैंसे राज्य के लिए काफी अहम है।

Tue Apr 9 , 2019
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